देहरादून। राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अदम्य साहस और वीरता के लिए उत्तराखंड निवासी पैराशूट रेजिमेंट के मेजर रोहित लिंगवाल और जम्मू-कश्मीर में 14वीं राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर अमित डिमरी को शौर्य चक्र से अलंकृत किया।
मेजर रोहित लिंगवाल देहरादून के प्रेमनगर स्थित ठाकुरपुर के रहने वाले हैं और उनकी प्रारंभिक शिक्षा केवि बीरपुर से हुई है। जबकि मेजर अमित डिमरी मूल रूप से चमोली जिले के पाखी, गरुड़गंगा गांव के मूल निवासी हैं। वर्तमान में वह परिवार के साथ देहरादून के जोगीवाला में रहते हैं। नौवीं बटालियन, पैराशूट रेजिमेंट में तैनात मेजर रोहित लिंगवाल जम्मू कश्मीर में सीमा नियंत्रण रेखा पर पोस्टेड थे।
उन्हें सूत्रों से पता चला कि खूंखार आतंकवादी उनकी ही पोस्ट पर हमला करने की ताक में बैठे हैं। मेजर लिंगवाल अपनी टुकड़ी के साथ सही समय की राह देखते रहे और आतंकवादियों के करीब आने पर उन पर हमला कर उनके लीडर को मार गिराया। जिससे उनकी टुकड़ी पर कोई हमला नहीं हुआ। मेजर लिंगवाल की वीरता, साहस, दृढ नेतृत्व और सूझबूझ के लिये उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। वीरता में गढ़वाल राइफल्स का दबदबा कायम इस बार वीरता पदक की सूची में भी उत्तराखंड के रणबाकुरों का दबदबा कायम है।
इस बार वीरता पुरस्कारों में गढ़वाल राइफल्स केदर्जनभर से अधिक सैन्य अधिकारियों व जवानों केनाम शामिल हैं। 14वीं राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर अमित डिमरी को शौर्य चक्र से अलंकृत किया गया है। मेजर अमित डिमरी ने अपनी पढ़ाई डीबीएस कॉलेज देहरादून से पूरी की। वह इस दौरान एनसीसी के अंडर ऑफिसर थे। 44वीं राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल धर्मेद्र सिंह नेगी को भी युद्ध सेवा मेडल मिला है।
गढ़वाल राइफल्स के जाबाज व वर्तमान में 14वीं राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर अमित शाह को सेना मेडल मिला है। इसके अलावा पाचवी गढ़वाल राइफल्स के कैप्टन दिग्विजय सिंह को भी सेना मेडल मिला है। छठी गढ़वाल राइफल्स के हवलदार नागेंद्र सिंह रावत व 14वीं राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात नायक देवेंद्र प्रसाद को भी सेना मेडल से अलंकृत किया है। 47 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात पीटीआर आशुतोष सिंह को भी सेना मेडल मिला है।
गढ़वाल राइफल्स का गौरवशाली इतिहास
आजादी से पहले और बाद में सैन्य इतिहास में गढ़वाल राइफल्स के जवानों की वीरता के कई किस्से दर्ज हैं। गढ़वाल राइफल्स के जाबाजों ने हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर न सिर्फ दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया, बल्कि देश की रक्षा केलिए अपना सर्वस्व भी न्योछावर किया है। यही वजह है कि वीरता के लिए मिलने वाले सबसे बड़े पदक विक्टोरिया क्रॉस (आजादी से पहले) से लेकर परमवीर चक्र, अशोक चक्र, शौर्य चक्र, सेना मेडल व अन्य पदक समय-समय पर गढ़वाल राइफल्स के जवानों को मिलते रहे हैं। सरहदों की रक्षा करते हुये गढ़वाल राइफल्स के वीर जाबाजों की वीरता का कोई शानी नहीं है। इन जाबाजो नें जान की बाजी लगाकर संवैधानिक मूल्यों पर आंच नहीं आने दी।