देहरादून। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले ही मतदाता सूची पर सवाल उठने लगे हैं। पूरे प्रदेश को छोड़ दें तो अकेले दून में ही 12 फीसद वोटर सूची से गायब मिले। जन हस्तक्षेप के सर्वे में यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आयोग से शिकायत करने की बात कही। साथ ही चुनाव में सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग न हो, इसके लिए अलग से कमेटी बनाने की मांग की गई।
जन हस्तक्षेप ने हम भारत के नागरिक हैं, वोट हमारा हक कार्यक्रम आयोजित कर सिस्टम की खामी गिनाई। रविवार को हिंदी भवन में आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि जन हस्तक्षेप ने दून की तीन विधानसभाओं में जो सैंपल सर्वे किया है, उसमें दलित, अल्पसंख्यक, गरीब एवं बस्ती में रहने वाले 298 वोटरों में से 37 नाम सूची से गायब मिले।
उन्होंने कहा कि इस हिसाब से 12 फीसद नाम वोटर लिस्ट में गायब हैं। यही, स्थिति दूसरे जिलों की भी है। उन्होंने दावा किया कि नगर निकाय चुनाव में भी करीब पांच लाख से ज्यादा वोटर को मतदान से वंचित रखा गया। इस मौके पर हस्तक्षेप से जुड़े लोगों ने कहा कि वह हर गांव, कस्बे, बस्ती और जनपद में जाकर लोगों को वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने को जागरूक करेंगे। साथ ही चुनाव आयोग को भी इस संबंध में अवगत कराएंगे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल किए जाएं।
इस मौके पर भाकपा के जीत सिंह, माकपा के बचीराम कंसवाल, सपा के डॉ. डीएस सचान, चेतना आंदोलन के त्रेपन सिंह, शंकर गोपाल, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी, संजय भट्ट आदि मौजूद रहे। चुनाव में शराब की बिक्री पर लगे पाबंदी जन हस्तक्षेप ने आयोग को सुझाव दिया कि चुनाव में शराब का प्रचलन रोकने के लिए आचार संहिता लागू होने से चुनाव परिणाम तक शराब की दुकानें बंद रखी जाएं। इससे काफी हद तक वोटरों को शराब परोसकर खरीदने की कोशिशें नाकाम होंगी।
इसके अलावा अवैध शराब पर भी सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई। हरिद्वार की घटना को देखते हुए कड़ाई से कार्रवाई की जाए। मिसिंग एप से कराएं पंजीकरण यदि आपका वोटर लिस्ट से नाम गायब है तो आप जन हस्तक्षेप की ओर से बनाए गए मिसिंग वोटर्स एप से पंजीकरण करा सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर में एप आसानी से डाउनलोड कर इसमें मांगी गई जानकारी भरें। राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों में यह एप कारगर साबित रहा।