आखिर क्यों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को लेकर फिसल रही नेताओं की जुबान

नई दिल्ली: ‘प्रियंका गांधी’ (Priyanka Gandhi) वैसे तो महज ये एक नाम लेकिन किसी समर्पित कांग्रेसी से पूछिए उसके लिए प्रियंका गांधी एक नाम ना होकर आशा और उम्मीद की वो किरण है जिसकी आंखों में वो आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस सफलता के झंडे फहराते देख रहा हैं। गांधी परिवार का कांग्रेसियों के लिए क्या महत्व है ये बताने की जरूरत नहीं क्या राहुल गांधी, क्या प्रियंका गांधी ये ऐसे नाम हैं जिनमें कांग्रेस पार्टी अपना भविष्य देखती है।
वैसे तो प्रियंका गांधी के राजनीति में आने के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे लेकिन किन्ही कारणों से प्रियंका सक्रिय राजनीति में आने से इंकार करती आ रही थीं,लेकिन साल 2019 के चुनावों के मद्देनजर उनका ये बार- बार का इंकार इस बार हां में बदल गया और कांग्रेस पार्टी और कार्यकर्ता तो मानों इसका इंतजार लंबे समय से कर रहे थे। उनके लिए प्रियंका गांधी की ‘हां’ खासी बड़ी कामयाबी थी। 
प्रियंका ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और उन्हें कांग्रेस महासचिव के अहम ओहदे से नवाजा गया और जिम्मेदारी दी गई राजनीति के लिहाज से अहम यूपी के पूर्वी क्षेत्र यानि पूर्वी उत्तर प्रदेश की।
प्रियंका गांधी की छवि अपनी दादी देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से खासी मिलती है और लोग उनमें इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं। खैर प्रियंका गांधी ने राजनीति में धमाकेदार एंट्री की और यूपी कांग्रेस पार्टी में जोश पैदा करना शुरू किया, बस इसके बाद से प्रियंका गांधी को लेकर विपक्षी पार्टियां खासतौर पर बीजेपी के नेताओं के बिगड़े बोल सामने आए हैं।
यूपी में शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के खिलाफ विवादित बयान दिया था जिसपर वसीम रिजवी के खिलाफ अयोध्या कोतवाली में मामला दर्ज किया गया। वसीम रिजवी ने कहा था कि प्रियंका खूबसूरत हैं और अगर वह पहले राजनीति में आतीं तो वह उन्हें अपनी फिल्म ‘राम जन्मभूमि’ में मुस्लिम महिला का रोल दे देते।

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