हल्द्वानी. कोरोना वायरस को लेकर देश और दुनियाभर में जारी मेडिकल इमरजेंसी के बीच हल्द्वानी के गांधीनगर में एक ही परिवार के दो बच्चों की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि इलाज न मिलने की वजह से बच्चों की जान गई है. वहीं, इन आरोपों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अनजान बन रहे हैं. इस बाबत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
6 घंटे में दो मौत
हल्द्वानी का गांधीनगर क्षेत्र उस वनभूलपुरा इलाके से सटा हुआ है जहां कोरोना के पांच संदिग्ध मरीज़ पाए गए थे. हालांकि इंदिरा नगर क्वारेंटाइन नहीं किया गया है, लेकिन ऐहतियातन लोग वहां जाने से बच रहे हैं. इसी क्षेत्र में रहने वाली 11 साल की एक बच्ची और उसके 6 साल के भाई की सुबह मौत हो गई.
परिजनों के अनुसार रात को बच्ची की तबीयत खराब होने पर उसे बेस हॉस्पिटल लेकर जाया गया, जहां से उसे सुशीला तिवारी हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई. बच्ची के शव को लेकर परिवार घर आया तो 6 साल के बेटे की भी तबीयत खराब हो गई.
बेटे को लेकर पिता पहले बेस हॉस्पिटल फिर सुशीला तिवारी हॉस्पिटल गए और फिर एक प्राइवेट हॉस्पिटल लेकिन उसकी भी मौत हो गई. बड़ी बहन की मौत के छह घंटे बाद सोमवार सुबह छोटे भाई ने भी दम तोड़ दिया.
टीबी से हुई मौतें
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस मामले से अनजान बन रहे हैं और कह रहे हैं कि संदिग्ध परिस्थितियों में हुई इन मौतों की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. दूसरी ओर सुशीला तिवारी अस्पताल के एमएस का कहना है कि दोनों बच्चे टीबी के मरीज थे और गंभीर स्थिति में थे इसलिए उन्हें बचाया नहीं जा सकता.
हल्द्वानी में दो बच्चों की टीबी से हुई मौतों को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. टीबी के लिए दशकों से देशव्यापी कार्यक्रम चलने और इसके इलाज का पूरा सिस्टम तैयार होने के बावजूद बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित दो बच्चों को ट्रैक क्यों नहीं किया जा सका. इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच टीबी से हुई मौत पर भी सवाल उठ रहे हैं.

