उत्तराखंड में समय पर नगर निकायों के चुनाव की स्थिति न बनने के कारण इन्हें प्रशासकों के हवाले करने की कसरत शुरू हो गई है। शहरी विकास निदेशालय से इस संबंध में मिले प्रस्ताव पर शासन ने मंथन शुरू कर दिया है। दो दिसंबर को 84 नगर निकायों में प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे, लेकिन तब तक निकायों के वर्तमान प्रतिनिधियों को पूरे पांच साल तक कार्य करने का अवसर मिल जाएगा।
दिसंबर 2018 में हुई थी पहली बैठक
राज्य में पिछले नगर निकाय चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे। तब इन निकायों (नगर निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत) की संख्या 92 थी। तीन निकायों में चुनाव नहीं होते। तब 84 निकायों में एक साथ चुनाव हुए, जबकि शेष में 2019 में। 84 निकायों की पहली बैठक दो दिसंबर 2018 को हुई थी। निकाय एक्ट के अनुसार पहली बैठक से ही निकायों का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है। इनका कार्यकाल अब दो दिसंबर को खत्म होने जा रहा है, लेकिन मतदाता सूची न बनने और ओबीसी आरक्षण से संबंधित रिपोर्ट न मिलने के कारण फिलहाल चुनाव की संभावना नहीं बन पा रही। इस परिदृश्य में वर्तमान में इन निकायों के जो भी प्रतिनिधि हैं, उन्हें पूरे पांच साल तक कार्य करने का अवसर मिल गया है। निकाय एक्ट में प्रविधान है कि कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव संपन्न करा दिए जाएं।
छह माह के लिए कार्यभार देख सकते हैं प्रशासक
चुनाव की आचार संहिता लगने पर प्रतिनिधि तो अपने पद पर बने रहते हैं, लेकिन निकाय कोई निर्णय नहीं ले सकते। इस बार ये निकाय दो दिसंबर तक निर्णय ले सकेंगे। निकाय एक्ट के अनुसार समय पर चुनाव न होने की स्थिति में कार्यकाल खत्म होने पर छह माह के लिए प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। उधर, इस सिलसिले में शहरी विकास निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया है।