हेस्को और यूपीईएस ने एमओयू किया साइन, उत्तराखंड के गांवों में मिलकर करेंगे शोध

हिमालयी क्षेत्र की गतिविधियों और उत्तराखंड के गांवों को लेकर यूपीईएस एवं हेस्को मिलकर शोध करेंगे। इसे लेकर हेस्को और यूपीईएस के बीच एमओयू हुआ है। जिस पर हिमालयी इनवारमेंट स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन (हेस्को) के संस्थापक पद्मभूषण डा. अनिल जोशी व यूपीईएस के सीईओ शरद मेहरा ने हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर किए गए एमओयू के तहत हिमालय और यहां के गांव में शोध कार्य तो बढ़ेंगे ही साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के द्वार भी खुलेंगे। इसके अलावा यह प्रकृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएगा।

गांव से पलायन रोकने की है मुहिम
सर्वविदित है कि दुनिया में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे जिस तरीके से खड़े हुए हैं उसमें अति आवश्यक शायद यह भी हो जाता है कि किस तरह से हम गांव से पलायन रोकें और उसके साथ संभावित संसाधनों पर आधारित ऐसे रोजगारों को खड़ा करें जिनसे गांव सीधे लाभान्वित हों। युवा उन तमाम तरह की सुविधाओं का लाभ उठा पाएं जो कि शहरी लोग उठाते है।

युवाओं को शोध से जोड़ने की मुहिम
यह एमओयू इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसमें यूपीईएस ने अपने ही परिसर में एक हिल नाम से इंस्टीट्यूट की स्थापना की है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिमालय से संदर्भित शोधों को बढ़ावा देना है। साथ में इस तरह के कार्यों के प्रति नीतियों पर भागीदारी करनी है जो हिमालय के संरक्षण में काम आए। इसमें हेस्को की बराबर की भागीदारी रहेगी। साथ में युवाओं को शोध से जोड़ने की यह एक पहल अपने आप में अनोखी होगी, जिसमें फेलोशिप का प्रविधान है।

हिमालय के लिए नई खोजों को दिया जाएगा जोर
इस एमओयू से हेस्को के वरिष्ठ विज्ञानियों को सम्मान मिलेगा और यूपीईएस ने उनको आननरी प्रोफेसर का दर्जा देना भी तय किया है। यह एक स्वैच्छिक संगठन और एकेडमिक संगठन के बीच का समझौता है। दोनों संस्थान आने वाले समय में हिमालय के लिए नई खोजों के साथ इसके विकास की नीतियों को भी तय करेंगे। शोध कार्य उत्तराखंड की आर्थिकी पर केंद्रित होगा और इसमें खासतौर से वो मुद्दे ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे जो आज देश-दुनिया में सबसे बड़ी चर्चा का विषय बने हुए हैं।

नंवबर 2023 से काम हो जाएगा शुरू
एमओयू पर एक नंवबर 2023 से कार्य प्रारंभ हो कर दिया जाएगा। एमओयू के दौरान यूपीईएस के चांसलर सुनील राय, वाइस चांसलर राम के शर्मा, रजिस्ट्रार मनीष मदान व प्रोफेसर जितेंद्र पांडे, शोधकर्ता शिवम जोशी के अलावा पारुल नेगी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *