अयोध्या विवाद: मध्यस्थता मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली: अयोध्या विवाद केस में मध्यस्थता के मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करीब 10.30 बजे फैसला सुनाएगा। अयोध्या केस मामले में मध्यस्थता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान एस ए बोबड़े ने कहा कि अतीत में क्या हुआ उसे छोड़कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यह मामला सिर्फ टाइटल सूट से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि भावना से जुड़ा है।
हमें एक ऐसे समाधान की जरूरत है जो सबको स्वीकार्य हो। ऐसे में बेहतर यही होगा कि सभी पक्ष मध्यस्थता के जरिए आगे बढ़े। सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा की तरफ से कहा गया कि मध्यस्थता के लिए सभी दरवाजे बंद हैं अब सिर्फ कानूनी समाधान ही रास्ता बचा है। लेकिन शाम होते होते हिंदू महासभा के रुख में बदलाव आया। बता दें कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पहले ही कहा था कि वो मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाना चाहते हैं।
हिंदू महासभा की तरफ से मध्यस्थों के नाम 
  1. रिटायर्ड चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा
  2. रिटायर्ड चीफ जस्टिस जे एस खेहर
  3. पूर्व जस्टिस ए के पटनायक
निर्मोही अखाड़े की तरफ से तीन मध्यस्थ
  1. रिटायर्ड जस्टिस कुरियन जोसेफ
  2. पूर्व जस्टिस ए के पटनायक
  3. पूर्व जस्टिस जी एस सिंघवी
संविधान पीठ में पांच जस्टिस शामिल
  1. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
  2. जस्टिस एस ए बोबड़े
  3. जस्टिस एस एस नजीक
  4. जस्टिस अशोक भूषण
  5. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़
एक नजर में अयोध्या विवाद और कानूनी कार्यवाही
  1. 90 हजार पन्नों में अयोध्या मामला
  2. अलग अलग भाषाओं में गवाही दर्ज
  3. इस मामले में मुख्य रूप से तीन पक्ष
  4. पहला पक्ष रामलला विराजमान इनकी पैरवी विश्व हिंदू परिषद कर रहा है।
  5. दूसरा पक्ष निर्मोही अखाड़ा, यह पक्ष पिछले 100 साल से अयोध्या में मंदिर निर्माण की लड़ाई में शामिल
  6. तीसरा पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड है जो मुस्लिम समाज की आवाज उठा रहा है।
  7. सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपील दायर
  8. 6 अपील हिंदु पक्षकारों की तरफ से दायर
  9. मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से 8 अपील दायर
मध्यस्थता के मुद्दे को बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा विवादित जमीन अब सरकार से संबंधित है। 1994 में तत्कालीन पीएम नरसिम्हाराव ने शीर्ष अदालत के सामने हामी भरी थी कि अगर जब कभी भी मंदिर के साक्ष्य उपलब्ध होंगे उस समय मंदिर निर्माण के लिए जमीन दे दी जाएगी। 
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई। बता दें कि 2.77 एकड़ जमीन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने द सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बांट दिया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *