देहरादून। आवास भत्ते समेत दस सूत्रीय मांग को लेकर 31 जनवरी को राज्य कर्मचारियों द्वारा लिए गए एक दिवसीय सामूहिक अवकाश को सरकार ने उपार्जित अवकाश के रूप में स्वीकृत करने का निर्णय लिया है। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले सरकार ने यह कदम उठाकर न केवल कर्मचारियों को राहत दी है, बल्कि दोनों के बीच चल रहे द्वंद्व को भी समाप्त कर दिया है।
आवास भत्ते समेत अन्य मांगों को लेकर आस्तीन चढ़ाए कर्मचारियों ने 31 जनवरी को सामूहिक अवकाश का निर्णय लिया था। सरकार ने भी इस पर सख्ती दिखाते हुए नो वर्क नो पे का नियम लागू किया। इसका असर फरवरी में आए कर्मचारियों के वेतन में भी देखा गया। सरकार ने सामूहिक अवकाश पर रहे सभी कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काट दिया था। विभागीय प्रमुखों व सचिवों की संस्तुति पर 31 जनवरी को कार्य करने वाले कर्मचारियों का ही वेतन जारी किया गया।
इससे कर्मचारियों के तेवर तल्ख हो गए थे, हालांकि इससे कहीं न कहीं उनकी सर्विस में एक दिन का ब्रेक आने की आशंका भी बलवती हो गए थी। इस कड़ी में कुछ दिनों पूर्व कर्मचारी आंदोलन की अगुवाई करने वाले राज्य अधिकारी-कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने वित्त मंत्री प्रकाश पंत के साथ अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी से भी मुलाकात की थी।