सियासी मौसम के साथ बदलता रहा हरिद्वार सीट का मिजाज

हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार की संसदीय सीट देवभूमि उत्तराखंड की हाट सीट में एक मानी जाती है। सियासी करवट बदलने का मिजाज रखने वाले यह सीट गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जानी जाती है। आश्रम नगरी ऋषिकेश, गंगा तीर्थ हरकी पैड़ी, शक्तिपीठ मां मंसा देवी, चंडी देवी, कलियर शरीफ दरगाह, पंतजलि योगपीठ, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के साथ ही हर मठों-आश्रमों के लिए हरिद्वार की देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी अलग पहचान है।
राजाजी नेशनल पार्क और महारत्न कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड समेत औद्योगिक क्षेत्र भी धर्मनगरी के रंग को और अनूठा बनाते हैं। उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरिद्वार की सीमा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बिजनौर व सहारनपुर से लगी हैं, जबकि राज्य में देहरादून व पौड़ी जिले की सीमा इससे लगी हैं।   

1977 में वजूद में आई हरिद्वार सीट 
हरिद्वार संसदीय सीट 1977 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर अब तक हुए 12 लोकसभा आम चुनाव और एक बार उपचुनाव हुआ है। यहां कांग्रेस-भाजपा में टक्कर रही है। दोनों दलों के पास पांच-पांच बार यह सीट रही। 

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