(गीता कुमई मामला,,,,)डी एम ने वार्ड न,8 के सभासद की उपजिलाधिकारी के द्वारा की गई जाँच पर संस्तुति कर शासन को कार्यवाही के लिए प्रेषित की

मसूरी: 21,मई, जिलाधिकारी देहरादून ने अपर सचिव  उत्तराखंड शासन को पत्र लिखकर नगर पालिका परिषद मसूरी के वार्ड संख्या 8 का निर्वाचन निरस्त करने की सिफारिश कर दी है। जिसके बाद अब शासन को इस पर निर्णय लेना है। बता दें हाल ही में संपन्न हुए नगर पालिका के चुनाव में वार्ड न0 8 से गीता कुमाई निर्वाचित हुई हैं।
बीते कल जिलाधिकारी ने शासन को उपजिलाधिकारी मसूरी की जांच आख्या आने के बाद यह संस्तुति की है। आरोप है कि यहां की निर्वाचित सभासदा के पति का पालिका की की भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है, लेकिन इसका जिक्र उन्होंने नामांकन पत्र में नहीं किया था। जबकि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए शपथ पत्र में भी इसका उल्लेख नही किया था। जिसके बाद गीता कुमाई के निर्वाचित होने पर स्थानीय निवासी केदार सिंह चौहान ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। बीते पांच अप्रैल को नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मसले में शासन को मामले में 60 दिन के भीतर जांच कराने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी मसूरी को जांच सौंपी थी।
जांच के उपरान्त पाया गया कि गीता कुमाई ने अपने नामांकन पत्र में इस बात की जानकारी नहीं दी थी, कि भरत कुमाई उनके पति हैं, जिनका कैमल बैक स्थित नगर पालिका की भूमि पर अवैध कब्जा है। हालाँकि इस प्रकरण में पहले से ही वाद भी योजित था, लेकिन सम्बंधित पत्रावलियों के न मिलने के कारण इसमें पालिका अपने पक्ष में कार्यवाही को लेकर आगे नहीं बढ़ पा रही थी। इस पूरे प्रकरण के बीच नगर पालिकाने इन दस्तावेजों को कलेक्ट्रेट के रिकार्ड रूम से प्राप्त कर लिया था। जिसमे पता चला कि यह भूमि 1916 में मीट व वेजिटेबल मार्केट के लिए अधिग्रहित की गई थी।
बता दें पिछले दिनों ही अधिशासी अधिकारी एमएल शाह ने उपजिलाधिकारी को पालिका की भूमि पर सभासद के परिवार का अवैध कब्जा हटाए जाने की संस्तुति की थी। जिसके बाद तमाम पहलुओं पर जांच  के उपरांत उपजिलाधिकारी मसूरी ने सभासद को नगर पालिका अधिनियम 1916 उत्तराखंड यथा संशोधित 2002 की धारा 13घ (पालिका की भूमि पर कब्जा या उससे लाभ पाने) का दोषी मानते हुए रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी थी है। अब जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन के पत्र के बाद वार्ड न0 8 का निर्वाचन निरस्त करने को लेकर शासन को ही कार्यवाही करनी है।

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