गरुड़ गंगा के पत्थरों पर गरमाई सियासत, विपक्ष ने ली चुटकी

देहरादून। होम्योपैथी केंद्रीय परिषद संशोधन विधेयक-2019 पर चर्चा के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल से सांसद अजय भट्ट के गरुड़ गंगा के पत्थरों की मान्यता को लेकर दिए गए वक्तव्य से सियासत गरमा गई है। इसके मीडिया में आने के बाद विपक्ष ने इस पर चुटकी ली और कहा कि भट्ट ने अपने निजी अनुभव के आधार पर ही इस संबंध में बोला होगा। हालांकि, सांसद भट्ट ने शनिवार को साफ किया कि उनके द्वारा मेडिकल को कोई चैलेंज नहीं किया। शोध के मकसद से गरुड़ गंगा के पत्थरों को लेकर किवदंतियों का जिक्र किया था। साथ ही सवाल किया कि ये बात उन्होंने 27 जून को सदन में कही थी। इतने दिन बाद इसे क्यों तूल दिया जा रहा है, समझ से परे है। वहीं, विशेषज्ञों का भी कहना है कि विज्ञान की कसौटी पर परखने के लिए गरुड़ गंगा के पत्थरों से उपचार और उसके गुणों को लेकर शोध की जरूरत है। 

दरअसल, शुक्रवार को सोशल मीडिया में सांसद भट्ट के लोकसभा में दिए गए गरुड़ गंगा से संबंधित वक्तव्य का वीडियो वायरल हुआ। विपक्ष ने भी इस मसले को लपकने में देरी नहीं की। नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंने सांसद भट्ट का बयान सुना नहीं था, मगर जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, इससे लगता है कि भट्ट ने अपने निजी अनुभवों पर ही ऐसा बोला होगा। पत्थरों से कोई चमत्कार होता है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है, न ही इसका कोई वैज्ञानिक आधार है। 

सांसद भट्ट ने शनिवार को इस मामले में साफ किया कि गरुड़ गंगा के बारे में आज लोगों में कौतुहल पैदा हो गया है। कई लोग उनसे इस बारे में पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एलोपैथी अथवा किसी भी चिकित्सा पद्धति को चुनौती नहीं दी। चर्चा के दौरान उन्होंने किवदंती का उल्लेख करते हुए ये बातें शोध के मकसद से कही थीं। उन्होंने कहा कि राज्य नेताओं को यहां के परंपरागत ज्ञान का भान होना चाहिए।

यह कहा था सांसद भट्ट ने
जैसे होम्योपैथी में मिरकल है, वैसे ही आयुर्वेद में भी हैं।..जितनी भी पैथी हैं, वो एक से बढ़कर एक हैं। गरुड़ गंगा की जानकारी कम लोगों को होगी। मान्यताएं हैं कि उसके पत्थर को अंदर लाते हैं तो घर में सांप और बिच्छू नहीं आते हैं। अगर सांप-बिच्छू काट दे तो पत्थर घिसकर लगा दो। अगर मेरी कोई बहन का प्रसव काल से हो और डॉक्टर कहे कि ऑपरेशन करो तो पत्थर को घिसके एक कप पानी पिला दीजिए। नॉर्मल प्रसव हो जाता है। 
वैज्ञानिक आधार खोजा जाना जरूरी 

उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल का कहना है कि विज्ञान किसी भी विधि को लागू करने से पहले उसका प्रमाण मांगता है। जहां तक गरुड़ गंगा के पत्थरों से इलाज या उसके गुणों की बात है तो इसके लिए शोध की जरूरत है। बिना शोध ऐसी बातों का कोई आधार नहीं है। बेशक, हमारे देश में तमाम पारंपरिक ज्ञान के आधार पर गंभीर रोगों का इलाज किया जाता है। कई पत्थरों, धातुओं और अन्य पदार्थों में औषधीय गुण होते हैं और इनके माध्यम से उपचार भी किए जा रहे हैं। इसलिए किसी भी नई बात को सिरे से खारिज करने या उस पर अमल करने से पहले उसका वैज्ञानिक आधार खोजा जाना जरूरी है।

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