पाकिस्तान को तगड़ा झटका, एफएटीएफ के एशिया पेसिफिक ग्रुप ने ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाला

नई दिल्ली : पाकिस्तान को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (एफएटीएफ) की क्षेत्रीय इकाई एशिया पेसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने उसे ‘काली सूची में’ डाल दिया है। अभी तक पाकिस्तान एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में शामिल था। संस्था ने पाया कि टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों के वित्‍तपोषण से जुड़े 40 में से 32 मानकों को पाकिस्‍तान ने पूरा नहीं किया है।

एपीजी, एफएटीएफ की क्षेत्रीय इकाई है और समझा जाता है कि उसके इस फैसले का पाकिस्तान पर व्यापक असर होगा। एफएटीएफ हालांकि अक्टूबर में होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान को ‘काली सूची’ में डालने पर फैसला लेगा। एफएटीएफ का एशिया पेसिफिक ग्रुप (एपीजी) एक अंतर सरकारी संगठन है जो क्षेत्र में टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखता है।

इस समहू में 41 सदस्य देश हैं। यह संस्था यह सुनिश्चित करती है कि सदस्य देश मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और व्यापक तबाही के हथियारों के प्रसार पर रोक लगाने के लिए तय अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपने यहां प्रभावी तरीके से लागू करें। एफएटीएफ एपीजे के इस फैसले पर अक्टूबर में होने वाली अपनी बैठक में विचार करेगा। फिलहाल, पाकिस्तान अभी वैश्विक संस्था के ‘ग्रे लिस्ट’ में मौजूद है। संस्था ने 11 बिंदुओं पर पाकिस्तान से जवाब मांगे थे इनमें से 10 बिंदुओं पर उसकी रेटिंग काफी खराब है जबकि एक मानक पर उसे थोड़ी राहत मिली है।

दिवालिया होने की कगार पर खड़ी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। एपीजे के फैसले पर एफएटीएफ भी अगर अपनी मुहर लगा देता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रसातल में चली जाएगी। दुनिया के देश और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं उसे पूरी तरह से कर्ज देना बंद कर देंगी। उसके यहां निवेश नहीं होगा जिससे उसका कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। पहले ही महंगाई से त्रस्त पाकिस्तान के लिए घरेलू स्थितियां संभालनी मुश्किल हो जाएंगी। 
एपीजी की यह वार्षिक बैठक ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में हुई है। बैठक में इस संस्था ने टेरर फंडिंग पर रोक लगाने पर पाकिस्तान की म्युचुअल इवैलुएशन रिपोर्ट की समीक्षा की है। हालांकि, पाकिस्तान ने टेरर फंडिंग पर रोक लगाने की दिशा में उठाए गए अपने कदमों से अवगत कराया लेकिन एपीजी उसकी दलीलों से सहमत नहीं हुआ। एपीजी के इस कदम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी क्योंकि एपीजी के इस निर्णय से दुनिया के देशों में यह स्पष्ट संकेत जाएगा कि टेरर फंडिंग पर पाकिस्तान की तरफ से खतरा बना हुआ है। 

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