मसूरी।31,अगस्त,, नगर पालिका के दो सभासदो प्रताप पंवार व दर्शन सिंह रावत ने पत्रकार वार्ता कर कोलुखेत ईको बैरियर को एक माह के लिए पुराने ठेकेदार को देने का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा सीधे तौर पर ठेकेदार को लाभ पहुँचाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस ठेकेदार ने पहले ही जीएसटी नहीं दिया, उसे ही दो प्रतिशत बढ़ा कर आगामी एक माह के लिए देना नियमों के विरुद्ध है।
शनिवार को एक रेस्टोरेंट में पालिका सभासद प्रताप पंवार और दर्शन रावत ने पत्रकार वार्ता कर पालिका की आपात बैठक में कोलुखेत ईको बैरियर का संचालन एक माह के लिए पुराने ठेकेदार को ही देने का यह कह कर विरोध किया कि पुराने ठेकेदार के साथ हुए अनुबंध में उल्लेख किया गया है कि अनुबंध की समय खत्म होने पर समय सीमा नही बधाई जा सकती है। इसके साथ ही पुराने ठेकेदार द्वारा जीएसटी का भुगतान नही किया गया है जो कि नियम विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि 10 सभासदों के बहुमत से पुराने ठेकेदार को ही एक माह के लिए ईको बैरियर को देना ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर अधिशासी अधिकारी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार जिस काम की निविदा आमंत्रित की गई, उसे निरस्त नहीं किया जा सकता और न ही उसी ठेकेदार को दिया जा सकता है जो कि पूर्व में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार नगर पालिका को ही ईको बॅैरियर वापस लेकर तब तक खुद ही संचालन करना चाहिए, जब तक नई निविदा नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि अधिशासी अधिकारी द्वारा बोर्ड को गुमराह किया जा रहा है। क्योंकि अधिशासी अधिकारी सचिव होते हैं, इसलिए नियमानुसार क्या सही है और क्या गलत, यह देखना अधिशासी अधिकारी का काम है। उन्होंने साफ़ किया कि नियम विरुद्ध 10 सभासदों द्वारा पुराने ठेकेदार को ही दुबारा टेंडर होने तक ईको बैरियर दिए जाने के प्रस्ताव पर वे पालिकाध्यक्ष को दोषी नही मानते, क्योंकि पालिका अध्यक्ष को सदन के बहुमत के आधार पर निर्णय लेना होता है। लेकिन बोर्ड के सचिव अधिशासी अधिकारी को बोर्ड को गुमराह करने के बजाय नियमानुसार पालिका के हित में प्रस्ताव पर आपत्ति करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बहुमत से कोई भी नियम विरूद्ध प्रस्ताव पास किया जाता है, तो वह शहर हित व पालिका हित में नहीं है।
वहीं पालिका अधिशासी अधिकारी एमएल शाह ने इस संबंध में कहा कि उन्होंने सदन को बताया है कि यह नियम विरूद्ध है और सभी अनुरोध किया गया कि वे इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति दर्ज करें। क्योंकि निविदा रद्द होने के कारण ही आपात बैठक इसलिए बुलाई गई थी, कि सदन के पास निर्णय लेने का अधिकार है कि जब तक निविदा नही हो जाती तब तक ईको बैरियर को कैसे संचालित किया जाय. लेकिन 10 सभासदों द्वारा पुराने ठेकेदार को ईको का संचालन देने के पक्ष में प्रस्ताव लाया गया.

