में अंजुमने हैदरी संस्था के बैनर तले जुलूस निकाल इम्माम हुसैन और कर्बला के शहीदों को याद किया।
झड़ीपानी के रोड पर शिया समुदाय के मुसलमानों ने मातम मानते हुए कर्बला के शहीदों को याद किया।
बता दे कि मुहर्रम का ये जुलूस मसूरी में 30-35 साल पहले लंढोर बाजार में निकलता था।लेकिन किन्ही कारणों से बंद हो गया था। आज 30,-35 साल बाद अंजुमने हैदरी के बैनर तले झड़ीपानी के शिया समुदाय के मुस्लिमों ने मुहर्रम की परम्परा मसूरी में फिर शुरू कर मातम मनाते हुए झड़ीपानी में मुहर्रम का जुलूस निकाला।
दरसल इराक में यजीद नाम का बादशाह हुआ करता था जो बहुत जालिम हुआ करता था।इम्माम हुसैन ने उस बादशाह के खिलाफ कर्बला में अपने सहयोगियों ओर परिवार के साथ जंग लड़ी और जंग लड़ते हुए शहीद हो गए इम्माम हुसैन मोहम्मद मुस्तफा के नवासे थे।उन्ही की याद में मुहर्रम इस्लामिक साल के पहले महीने में मुहर्रम मनाया जाता है।
मुसलमानों में शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के महीने को मातम का महीना मानते हैं।
इसी कड़ी में झड़ीपानी के शिया समुदाय के मुसलमानों ने मुहर्रम का जुलूस निकाल मातम मनाया।
इस मौके पर नगरपालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, जाकिर हुसैन, यूसुफ अली,जावेद हुसेन,आफताब हुसैन जुल्फकार हुसैन अनवर हुसैन सहित बड़ी संख्या में शिया समुदाय के मुस्लिम महिलाएं बच्चे और पुरुष मौजूद थे।