सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए मंजूर आबकारी नीति में कई बदलाव किए हैं। चालू वित्तीय वर्ष के लिए प्रभावी नीति कारगर नहीं रहने से यह कदम उठाना पड़ा। विभाग का मानना है कि तय लक्ष्य 31 सौ करोड़ को हासिल करने में सबसे अधिक दिक्कत सभी शराब दुकानों की नीलामी नहीं होने से आई है। छह सौ से अधिक दुकानों में से 131 नीलाम नहीं हो पाई थीं। इससे रिटेल बिक्री के 2175 करोड़ रुपये के लक्ष्य का 70 से 80 प्रतिशत ही पूरा हो पाया।
ऐसे में विभाग ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए दुकानों की टेंडर प्रक्रिया समाप्त कर दी है। लाटरी सिस्टम से अधिक प्रतिस्पर्धा होगी, जिससे राजस्व बढ़ेगा। इसके साथ दूसरा बदलाव शराब के रिटेल बिक्री रेट कम करने का है। विभाग 15 से 20 प्रतिशत देसी और अंग्रेजी शराब के दाम कर रहा है। यूपी के मुकाबले में यह दाम सात से 10 प्रतिशत तक कम रहेंगे, जिससे तस्करी कम होने के साथ बिक्री बढ़ेगी।
अब बार लाइसेंस डीएम जारी करेंगे
एफएल 2 लाइसेंस में नहीं हुआ बदलाव
विभाग ने एफएल 2 की लाइसेंस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया है। माना जा रहा था राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार एफएल 2 का लाइसेंस बड़ी शराब कंपनी को देने की तैयारी में है। इससे दूसरे ब्रांडों को नुकसान पहुंचने की आशंका बन जाती। ऐसे में पहली की ही व्यवस्था के तहत एफएल 2 के लाइसेंस दिए जाएंगे।
35 सौ करोड़ का लक्ष्य, दुकानें नहीं बढ़ेंगी
सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए लक्ष्य 35 सौ करोड़ रुपये कर दिया है, लेकिन दुकानों की संख्या नहीं बढ़ाई है। लाटरी के अलावा अगर कोई व्यवसायी दुकान के मौजूदा राजस्व में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव देता है, तो उसे दुकान दे दी जाएगी। किन्हीं कारणों से अगर दुकान नहीं बिकती है, तो विभाग ने दुकान को दो हिस्सों में बांटकर अलग-अलग लाटरी निकालने का विकल्प भी रखा है।
सीएसडी कैंटीनों में भी घटेंगे दाम
कहीं भी मद्य निषेध क्षेत्र घोषित कर सकेगी सरकार
मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम 1910 में संशोधन किया है। अधिनियम की धारा 37 (क) की उपधारा तीन को समाप्त कर दिया गया है। इसके तहत यह तय था कि स्कूल, कालेज, सरकारी दफ्तर, मंदिर आदि के पास दुकान नहीं खोली जा सकती।

