देहरादून: ऐतिहासिक क्षण को देखने उमड़ा जनसैलाब, दूसरे प्रयास में हुआ झंडे जी का अरोहण

देहरादून I देहरादून के ऐतिहासिक झंडे जी के आरोहण को आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भले ही पहली बार में झंडे जी का ध्वज दंड खंडित होने के कारण आरोहण नहीं हो सका। लेकिन शाम को दोबारा प्रयास के बाद आरोहण संपन्न हुआ। 

इससे पहले शाम को आरोहण के दौरान बड़ा हादसा होते-होते टल गया। झंडे जी को स्थापित करने के अंतिम क्षण में ध्वज दंड का निचला हिस्सा खंडित हो गया। जिस कारण झंडे जी का बड़ा हिस्सा श्रद्धालुओं के ऊपर जा गिरा। इससे कई श्रद्धालु घायल भी हो गए।

मौसम की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी श्रद्धालुओं का जोश देखने लायक रहा। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु इस पवित्र रस्म के साक्षी बने। शुक्रवार सुबह आठ बजे श्री गुरू राम राय दरबार साहिब के महंत देवेंद्र दास जी महाराज की उपस्थिति में संगतों ने झंडे जी को उतारने की प्रक्रिया शुरू की। करीब साढ़े नौ बजे झंडा जी को दही, घी, गंगाजल, पंचामृत से स्नान कराना शुरू किया गया।

सुबह 10.15 बजे से श्री झंडा जी को सादा गिलाफ, सनील गिलाफ चढ़ाना शुरू हुआ। दोपहर 2.30 बजे महंत जी महाराज ने संगतों को दर्शन दिए और संगतों ने महाराज जी का आशीर्वाद लिया। 3 बजे से श्री झंडा जी का आरोहण शुरू किया गया। सैकड़ों की संख्या में संगतों ने आरोहण के ऐतिहासिक क्षण में हिस्सा लिया। पूरी श्रद्धा के साथ विधि-विधान से श्री झंडा जी का आरोहण किया जाने लगा।

लेकिन झंडे जी का ध्वज दंड खंडित होने के कारण कुछ देर के लिए आरोहरण को रोक दिया गया। फिर शाम करीब 6 बजे दोबारा झंडे जी का आरोहण कार्यक्रम विधिवत शुरू किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं में खासा जोश एवं उत्साह देखा गया। देर शाम करीब 6.30 बजे के बाद झंडे जी को स्थापित किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की तालियों की गड़गड़ाहट और महाराज जी के जयकारों से माहौल गूंज उठा। 

जयकारे और ढोल-नगाड़ों की थाप से आती रही ऊर्जा

झंडा जी को स्थापित करना बेहद मुश्किल रहा, लेकिन श्री झंडा जी की दिव्य शक्ति और श्रद्धालुओं की श्री झंडा जी के प्रति अटूट आस्था का ही नतीजा रहा कि पूरी प्रक्रिया सकुशल संपन्न हुई। आरोहण के समय श्रद्धालु महाराज के जयकारे लगाते रहे। वहीं, ढोल-नगाडों की थाप की मधुर ध्वनि श्रद्धालुओं में ऊर्जा का संचार करती रही।

दर्शनी गिलाफ को छूने को आतुर रहे श्रद्धालु
झंडा जी के आरोहण में दर्शनी गिलाफ का विशेष महत्व होता है। दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए 100 साल पहले ही बुकिंग करानी होती है, तब जाकर किस्मत वाले को ही यह सौभाग्य हासिल हो पाता है। इस दर्शनी गिलाफ को श्री झंडा जी पर चढ़ाए जाने से पहले उसे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा गया। दर्शनी गिलाफ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रही। दर्शनी गिलाफ को छूकर श्रद्धालु धन्य हुए।

ऐतिहासिक क्षण के दर्शन हुए तो आंखें हुई नम

मखमली वस्त्र, सुनहरे गोटों, चंवर से सुसज्जित कर श्री झंडे जी का आरोहण किया गया। श्री झंडे जी को लकड़ियों की कैंची के सहारे धीरे-धीरे खड़ा किया गया। श्री झंडा साहिब को स्थापित किया तो श्रद्धालुओं ने ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनकर खुद को सौभाग्यशाली समझा। इस दौरान श्रद्धालुओं की आंखें नम नजर आई। 
 
श्री गुरू राम राय का 374वां जन्मदिवस मनाया
श्री गुरू राम राय ने वर्ष 1676 में दून में डेरा डाला था। उनका जन्म 1646 में पंजाब के होशियारपुर जिले के कीरतपुरमें होली के पांचवें दिन हुआ था। इसलिए दरबार साहिब में हर साल होली के पांचवें दिन उनके जन्मदिवस पर झंडा मेला लगाया जाता है। गुरू राम राय ने ही लोक कल्याण के लिए विशाल ध्वज को यहां स्थापित किया था। इस बार उनका 374वां जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया। 

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