इस्कॉन इंडिया के चेयरमैन व वरिष्ठ संन्यासी गोपाल कृष्ण गोस्वामी का रविवार सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। 30 अप्रैल को दिल्ली से देहरादून के दुधली में श्रीश्री राधा बांके बिहारी मंदिर के भूमि पूजन के लिए आए थे। यहां वह फिसलकर गिर गए। इसके बाद उन्हें सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। सोमवार को उनके पार्थिव शरीर को वृंदावन में समाधि दी जाएगी। उनके निधन की खबर से भक्तों में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी निधन पर शोक जताया है।
दुधली में मंदिर के भूमि पूजन आए थे गोस्वामी महाराज
इस्कॉन देहरादून के कोआर्डिनेटर जगदीश हरि प्रभु ने बताया कि गोपाल कृष्ण गोस्वामी एक मई को दुधली में मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में पहुंचे थे। गुरुवार को वे यहां शौचालय में अचानक फिसलकर गिर गए थे। उन्हें सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां तीन दिन से उनका इलाज चल रहा था। हृदय संबंधी बीमारी के कारण रविवार सुबह नौ बजकर 15 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। दोपहर के बाद पार्थिव शरीर दिल्ली के ईस्ट आफ कैलाश स्थित मंदिर में दर्शन के लिए रखा गया। आज उनके पार्थिव शरीर को वृंदावन ले जाया जाएगा।
अस्पताल में पड़ गया दिल का दौरा
इस्कॉन देहरादून के अध्यक्ष परम करुणा माधव दास ने बताया कि अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। जिस कारण उनकी स्थिति बिगड़ गई। मुख्यमंत्री ने एक्स के माध्यम से शोक व्यक्त हुए गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के निधन को आध्यात्मिक जगत व संत समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
श्रीकृष्ण व सनातन धर्म की शिक्षा को दुनिया के साथ किया साझा
वर्ष 1944 में दिल्ली में जन्मे गोपाल कृष्ण गोस्वामी को सोरबोन विश्वविद्यालय फ्रांस व मैकगिल विश्वविद्यालय कनाडा में अध्ययन करने के लिए दो छात्रवृत्ति प्रदान की गईं।
वर्ष 1968 में कनाडा में अपने गुरु व इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद से भेंट के बाद उन्होंने सभी की शांति व कल्याण के लिए श्रीकृष्ण व सनातन धर्म की शिक्षा को दुनिया के साथ साझा करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।