नई दिल्ली I कोरोना ने दुनिया का राजनितिक और भौगोलिक समीकरण ही दांव पर लगा दिया है. लिहाज़ा अब ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि इस महामारी के बादल छटने के बाद दुनिया की तस्वीर ही बदल जाएगी. बहुत मुमकिन है कि अमेरिका का सुपरपॉवर का तमगा भी छिन जाए और दुनिया का पॉवर सेंटर वेस्ट से ईस्ट की तरफ हो जाए यानी चीन की तरफ. क्योंकि मौजूदा हालात को देखते हुए साफ है कि कोरोना से बचने के लिए दुनिया चीन की शरण में जा रही है.
अगर दुनिया के नक्शे को देखा जाए तो अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों को छोड़कर तकरीबन बाकी दुनिया कोरोना के इस लाल खतरे की जद में है. इस लाल रंग के कई मायने भी हैं. चूंकि लाल रंग कम्यूनिस्टों का रंग है और चीन एक कम्यूनिस्ट देश है. इसलिए नक्शे में जहां-जहां ये लाल रंग नज़र आ रहा है. समझिए वहां-वहां चीन ने अपना प्रभाव छोड़ दिया है और अब इस खतरे के निशान से चीन ही है, जो दुनिया को बचा सकता है.
आज अमेरिका समेत पूरी दुनिया इस जानलेवा वायरस की वजह से चीन की तरफ झुकी हुई नज़र आ रही है. इन सभी देशों को कोरोना से लड़ने के लिए चीन का एक्सपीरियंस और उसके मेडिकल इक्वेपमेंट की ज़रूरत है. अमेरिका से लेकर यूरोप तक और इंग्लैंड से लेकर ईरान तक सभी इस महामारी से बचने के लिए चीन की मदद ले रहे हैं.
ये वही इटली है जो अमेरिका के प्रभाव में कोरोना के शुरुआती दौर में उसे चीनी वायरस कह रहा था. तब चीन बदनामी के डर से उससे ये गुज़ारिश कर रहा था कि ये एक महामारी है और वो इस वायरस को उसके मुल्क से ना जोड़ें. मगर देखते ही देखते वक्त ने ऐसी करवट ली कि अब इटली कोरोना से लड़ने के लिए चीन के सामने मदद के लिए गिड़गि़ड़ा रहा है.
इतना ही नहीं अमेरिका के बाद स्पेन जो इस महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित है. वो भी चीन की शरण में है. और चीन से अब तक करीब 432 मिलियन यूरो यानी करीब 36 अरब रुपये का मेडिकल इक्वेपमेंट खरीद चुका है. यहां तक कि अमेरिका भी अब चीन के सामने झुक गया और वो भी कोरोना से लड़ने के लिए चीनी इक्वेपमेंट आयात कर रहा है. अपनी तसल्ली के लिए आप अमेरिकी अखबारों की हेडलाइन्स पर भी एक नज़र डाल सकते हैं. जिसमें लिखा है कि व्हाइट हाउस ने कोरोना से लड़ने के लिए चीनी इक्वेपमेंट को मंज़ूरी दे दी है.
इसके अलावा चीन ईरान और कनाडा को भी मेडिकल इक्वेपमेंट मुहैया करा रहा है. अब ज़ाहिर है चीन जैसा देश समाज सेवा तो कर नहीं रहा है. बल्कि वो इस मौके को भुनाकर दुनिया पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. और माल बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था मज़बूत कर रहा है वो अलग. कुल मिलाकर दुनिया के 50 से ज़्यादा ऐसे देश हैं, जो कोरोना की ये जंग चीन के भरोसे लड़ रहे हैं. और चीन भी उनकी खुशी खुशी मदद कर रहा है. क्योंकि वो जानता है कि ये महामारी जब तक चलेगी. तब तक उसकी अर्थव्यवस्था मज़बूत होती जाएगी. और दुनिया की इकॉनमी कमज़ोर होती जाएगी. इस तरह वो बेहद कम वक्त में दुनिया की सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्था बन जाएगा. जिसके बाद सुपरपावर बनने का रास्ता बेहद आसान है.
आपको बता दें कि चीन दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब है. यानी दुनिया में सबसे ज़्यादा मैन्यूफैक्चरिंग चीन में ही होती है. दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं हैं जो इस मामले में चीन का मुकाबला कर सके. लिहाज़ा ये थ्योरी काफी हद तक सही नज़र आ रही है कि चीन हेल्थ केयर की एक सिल्क रोड बनाकर दुनिया में अपना दबदबा कायम करने की कोशिश कर रहा है. मगर ये कहानी का सिर्फ एक पहलू है. कहानी का दूसरा पहलू तो अभी बाकी है. ये बहुत दिलचस्प भी है और इसे जानना भी बेहद ज़रूरी है.