उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में जल्द ही 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलेगा। आंदोलनकारी आरक्षण को लेकर गठित विधानसभा की प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप चुकी है। अब इससे संबंधित विधेयक पारित कराने के लिए शीघ्र ही विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है। सितंबर में हुए विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार की ओर से राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण से संबंधित विधेयक पेश किया गया था। सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों के विधायकों ने इसे अधूरा बताया था। विधेयक में संशोधन के दृष्टिगत इसे विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। तब यह तय किया गया कि प्रवर समिति सभी पहलुओं पर गहनता से मंथन कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपेगी। इसके बाद विधेयक पारित कराने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा।
विधिक कसौटी पर परखने के बाद रिपोर्ट हुई तैयार
प्रवर समिति ने आंदोलनकारियों को आरक्षण से संबंधित सभी विषयों पर गहनता से मंथन करने के साथ ही इससे संबंधित सुझावों को विधिक कसौटी पर परखने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की। प्रवर समिति के अध्यक्ष एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य स्थापना दिवस पर नौ नवंबर को यह रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को सौंपी। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि सरकार यह विधेयक पारित कराने के लिए सत्र कब बुलाती है।
क्षैतिज आरक्षण को लेकर सरकार गंभीर
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि प्रवर समिति अपना कार्य पूरा कर चुकी है। अब पहला विषय है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने को लेकर सरकार गंभीर है। वैसे भी अभी मानसून सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है। सत्र जल्द ही बुलाया जाएगा, जिसमें सरकार यह विधेयक पारित कराएगी। संभवतया इसी सत्र में समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक भी लाया जा सकता है।