एक बार फिर एनडीए सरकार या कोई और, इन राज्यों के चुनावी परिणाम तय करेंगे किस्मत

नई दिल्ली: 17वीं लोकसभा के लिए चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है। सात चरणों में होने वाले मतदान के बाद 543 सीटों का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा और 23 मई को ये साफ हो जाएगा कि दिल्ली की गद्दी पर क्या एनडीए सरकार एक बार फिर काबिज होगी या दिल्ली का ताज किसी और के सिर बंधेगा। एनडीए को चुनौती देने के लिए विपक्षी दल कमर कस कर मैदान में उतर चुके हैं। लेकिन जमीन पर उनके सामने बहुत उलझनें भी हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जबरदस्त अंदाज में निशाना साध रहे हैं। इसके साथ ही एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ साथ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी निशाना साधने का मौका नहीं चुकती हैं। यहां हम बताएंगे कि आखिर वो कौन से राज्य हैं जो सत्ता पक्ष या विपक्ष के लिए राह आसान बनाएगा या दिल्ली की सत्ता की राह में रोड़े बनेगा। हम पांच राज्यों का जिक्र करेंगे जो एनडीए या विपक्ष दोनों के लिए अहम हैं।

उत्तर प्रदेश

देश के सबसे बड़े सूबे में उत्तर प्रदेश की गिनती होती है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यूपी बड़ा राज्य भले ही न हो। लेकिन राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है। आम चुनाव 2014 पर नजर डालें तो एनडीए को जबरदस्त कामयाबी मिली थी। 80 सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी के खाते में 71 सीट, उसके सहयोगी दलों को 2 सीट हासिल हुई थी। इसके अलावा एसपी को पांच सीटें जो मुलायम सिंह यादव परिवार से जुड़ी हुई थी। कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2 सीट गई थी जबकि बीएसपी का सुपड़ा साफ हो गया था। लेकिन उस दफा विपक्ष एकजुट नहीं था।लेकिन इस बार तस्वीर वैसी नहीं है। एसपी और बीएसपी एक दूसरे के साथ हैं और बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चुनाव पूर्व अनुमानों के मुताबिक एसपी-बीएसपी गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है। जानकारों का कहना है कि हाल ही में पुलवामा अटैक के बाद एयर स्टाइक से माहौल बदला है। लेकिन बीजेपी के लिए 2014 को दोहरा पाना आसान नहीं होगा। 

बिहार

यूपी के बाद बिहार राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी और जेडीयू का रास्ता अलग हो चुका था। इस तरह की संभावना जताई जा रही थी कि बीजेपी को खामियाजा भुगतना होगा। लेकिन मोदी लहर का असर बीजेपी के चुनावी नतीजों पर दिखाई दिया। जानकारों का कहना है कि 2019 में बीजेपी और जेडीयू एक साथ चुनाव में जा रहे है और ये एक ऐसा समीकरण है जिसे विपक्षी दलों को तोड़ पाना आसान नहीं होगा। आरजेडी के तेजस्वी यादव अलख जरूर जगा रहे हैं लेकिन उनके सामने कांग्रेस चुनौती के रूप में सामने आ रही है। 

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