चीन को दिया गया सबसे कड़ा संदेश, भारत और अमेरिका समेत घेरेबंदी के लिए साथ आए सात देश

नई दिल्ली। कोविड-19 ने सिर्फ तीन महीने में दुनिया के हेल्थ व इकोनॉमिक सिस्टम की जड़ें हिला दी हैं। अब यह साफ हो गया है कि इस महामारी का दुनिया के कूटनीतिक माहौल पर भी बहुत बड़ा असर होने वाला है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ ने एक साथ भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, इजरायल और ब्राजील के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक कर चीन को अभी तक का सबसे बड़ा संदेश दिया है। बैठक में जहां कोविड-19 को लेकर ज्यादा पारदर्शिता बरतने का मुद्दा उठा। पोम्पिओ के आग्रह पर बुलाई गई विमर्श को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से चीन पर लगातार निशाना साधने की रणनीति के अगले चरण के तौर पर देखा जा रहा है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सेक्रेटरी पोम्पिओ ने उक्त छह देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक में ”कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने के मुद्दे पर चर्चा हुई है। इनके बीच भविष्य में होने वाले स्वास्थ्य संबंधी संकट और कानून सम्मत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम करने के विषय पर भी चर्चा हुई है।” कहने की जरुरत नहीं कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय का उक्त बयान पूरी तरह से चीन को निशाना बनाने वाला है। अमेरिका लगातार चीन पर यह आरोप लगा रहा है कि वह कोविड-19 को लेकर पारदर्शिता से काम नहीं किया और समय पर दुनिया को इस महामारी के बारे में सूचना नहीं दी। अमेरिका के अलावा जापान के विदेश मंत्री मोतेगी तोशीमित्सु और आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री सुश्री मेरिस पेयने ने भी कोविड-19 को लेकर पारदर्शी व्यवहार करने की बात कही है।

कोविड-19 से भी ज्यादा रहा बैठक का दायरा
ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिका ने कुछ प्रमुख देशों को एक साथ कोविड-19 पर विचार विमर्श करने को एकत्रित किया है। लेकिन इस बैठक का दायरा कोविड-19 से भी ज्यादा व्यापक रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का बयान साफ तौर पर संकेत देता है कि इसमें साउथ चाईना सी का मुद्दा भी उठा है। चीन के अतिक्रमण को लेकर अमेरिका हमेशा यह कहता रहा है कि वहां कानून सम्मत व्यवस्था होनी चाहिए। भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया भी साउथ चाईना सी में अमेरिका के रुख से सहमति रखते हैं। अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक नये सहयोग को लेकर बातचीत का ढांचा भी तैयार कर लिया गया है।

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