रुड़की I पत्नी के चरित्र पर शक ने हिलाल के इकलौते 12 वर्षीय बेटे की जिंदगी उजाड़ डाली। बच्चे की मां की मौत और पिता के जेल जाने के बाद उसकी परवरिश कौन करेगा। उसके सिर से माता पिता का साया उठ गया है।
हिलाल के पुत्र नय्यर इकबाल ने बताया कि उसके चाचा, दादा, दादी कोई नहीं हैं। उसके पिता बिहार से बहुत समय पहले आकर गाजियाबाद में रहने लगे थे। उसकी मां बीमार हो गई थी। मां को लेकर उसके पिता दो माह पहले कलियर लेकर आए थे। वह मुजफ्फरनगर के कांधला के पास जोला में एक मदरसे में पढ़ाई करता है।
रो-रोकर बुरा हाल
एक सप्ताह पहले ही वह अपने माता पिता के साथ मदरसे से छुट्टी लेकर कलियर आया था। उसे रात में खबर भी नहीं हुई कि उसकी मां की हत्या हो गई है। सुबह होने पर उसने देखा कि उसकी मां बिस्तर पर लहूलुहान पड़ी है।
नय्यर इकबाल अपनी मां के शव पर लिपटकर रो रहा था कि उसकी देखभाल अब कौन करेगा। उसका रो-रोकर बुरा हाल है। बार-बार नय्यर इकबाल बस एक ही बात कह रहा है कि उसका कोई नहीं है। आसपास के लोग इकबाल को दिलासा दे रहे हैं। और उसे वापस मदरसे में पढ़ाई करने की सलाह दे रहे हैं।