सरकार ने इस साल के इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म में बड़े बदलाव किए हैं। जिस आम भारतीय नागरिक को वित्त वर्ष 2018-19 में 50 लाख रुपये तक आमदनी हुई, वह आईटीआर फॉर्म 1 भर सकता है। इस फॉर्म में वेतन से हुई आय, एक मकान से कमाई, बचत खातों और एफडी से प्राप्त ब्याज की रकम एवं खेती से हुई 5 हजार रुपये तक की आमदनी की जानकारियां देनी होंगी। इस वर्ष से उन लोगों को आईटीआर 1 भरने से रोक दिया गया है जो किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं या जिन्होंने अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश कर रखा है।
हालांकि, आईटीआर फॉर्म 1 में एक्सेल और जावा यूटिलिटीज के जरिए भी रिटर्न भरा जा सकता है, लेकिन लोगों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ई-फाइलिंग वेबसाइट का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यहां आईटीआर भरना सबसे आसान है। साथ ही, यहां वेबसाइट के सॉफ्टवेयर से तैयार बेसिक इन्फर्मेशन और टैक्स डीटेल्स फॉर्म में पहले से ही भरे होते हैं। इस आर्टिकल को पढ़कर आप अपना आईटीआर फॉर्म 1 खुद ही आसानी से भर लेंगे। तो आइए जानते हैं आईटीआर 1 भरने का सबसे तेज और सरल तरीका…
स्टेप 1: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ई-फाइलिंग वेबसाइट
www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाकर लॉग इन करें। याद रखें आपका पैन ही आपकी लॉगइन आईडी होता है। तो पैन और पासवर्ड से वेबसाइट पर लॉगइन कर लें। अगर पासवर्ड याद नहीं हो तो फॉरगॉट पासवर्ड के इस्तेमाल से नया पासवर्ड बना लें।
स्टेप 2: लॉगइन हो जाने पर मेनू में जाकर ई-फाइल>इनकम टैक्स फॉर्म्स पर क्लिक करें।
स्टेप 3: अब जो पेज खुला है, वहां असेसमेंट ईयर में 2019-20, आईटीआर फॉर्म नंबर में आईटीआर 1, फाइलिंग टाइप में ऑरिजिनल/रिवाइज्ड रिटर्न, सबमिशन मोड में प्रिपेयर ऐंड सबमिट ऑनलाइन का चयन करें। हां, अगर आप हिंदी में फॉर्म भरना चाहते हैं तो कॉन्टिन्यू करने से पहले कॉन्टिन्यू और कैंसल बटन से ठीक ऊपर हिंदी फॉर्म के विकल्प वाले कोष्ठक पर क्लिक कर लें।
स्टेप 4: ऊपर के सिलेक्शन के बाद कॉन्टिन्यू करने पर जो नया पेज खुलेगा, उसमें सात टैब्स दिखेंगे।
A. निर्देश: पहले टैब में सामान्य जानकारियां दी गई हैं।
B. पार्ट A (सामान्य सूचनाएं): दूसरे टैब में आपकी व्यक्तिगत जानकारियां (नाम, पता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, ई-मेल ऐड्रेस आदि) होंगी। आप कोई बदलाव चाहते हैं तो कर सकते हैं।
C. आय की गणना और टैक्स: तीसरे टैब में सैलरी इनकम के डीटेल्स, हाउस प्रॉपर्टी से हुई आमदनी के कुछ डीटेल्स, ब्याज से हुई आय (अगर टीडीएस कटा है तो) और आपने टैक्स छूट के जो क्लेम किए, इन सबकी जानकारियां ऑटो-फिल्ड होंगी। साथ ही, इन सब आय के आधार पर कितना टैक्स देना है, इसकी भी जानकारी मिल जाएगी। आपको सिर्फ इन डीटेल्स की अच्छे से पड़ताल करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि सारी जानकरियां सही हैं। इस टैब में इनकम डीटेल्स कैसे भरे जाएंगे, इसे विस्तार से समझ लें।
1. आईटीआर 1 में सैलरी इनकम की रिपोर्टिंग
मान लीजिए कि वित्त वर्ष 2018-19 में आपका समग्र वेतन (ग्रॉस सैलरी) 6 लाख रुपये था और 50 हजार रुपये एचआरए मिला था। खास बात यह है कि इस बार कुल वेतन, टैक्स छूट के दायरे में आने वाले भत्ते, परिलब्धियां (परक्विसाइट्स) और वेतन के बदले लाभ (प्रॉफिट इन ल्यू ऑफ सैलरी) की अलग-अलग जानकारियां भरी होंगी। पिछले वर्ष तक सबको अलक-अलग बताने की जरूरत नहीं होती थी।
बहरहाल, ग्रॉस सैलरी में एचआरए घटाने के बाद जो 5.50 लाख रुपये बचे, उसमें सेक्शन 16 के तहत मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) के रूप में 40 हजार रुपये घट जाएंगे। ‘वेतन’ शीर्ष के अधीन प्रभार्य आय (इनकम चार्जिएबल अंडर दे हेड ‘सैलरीज’ (III – IV) में आपकी इनकम 5 लाख 10 हजा रुपये बचेगी। यूं तो ये जानकारियां पहले से भरी हुई मिलेंगी, लेकिन इसे क्रॉस चेक करना जरूरी है।
2. आईटीआर 1 में हाउस प्रॉपर्टी से इनकम
मकान का प्रकार, मकान से हुई आमदनी जैसी कुछ जानकारियां पिछले साल के आईटीआर और फॉर्म 26AS के मार्फत आईटीआर फॉर्म में ऑटो अपलोड रहेंगी। किराए से आय की जानकारी कैसे दी जाएगी, इसे उदाहरण के साथ ऐसे समझें।
मान लीजिए आपको वित्त वर्ष 2018-19 में किराए से 12 लाख रुपये मिले और आपने 10 हजार रुपये हाउस टैक्स चुकाया। इसके अलावा, आपने 1.5 लाख रुपया होम लोन का ब्याज दिया। माना कि आपको पिछले वित्त वर्ष 2017-18 का बकाया एक लाख रुपया भी वित्त वर्ष 2018-19 में मिल गया। अब इन सबकी रिपोर्टिंग के लिए आपको मकान का प्रकार (टाइप ऑफ हाउस प्रॉपर्टी) बताना होगा। पहले सिर्फ ‘अपने अधीन’ (सेल्फ ऑक्युपाइड) या ‘किराए पर दिया हुआ’ (लेट आउट) के दो विकल्प ही थे। इस वर्ष एक और ऑप्शन ‘किराए पर माना गया’ (डीम्ड लेट आउट) जोड़ा गया है।
पिछले साल तक अगर किसी को पिछले वित्त वर्ष के किराए की बकाया रकम मिलने पर आईटीआर फॉर्म 1 फाइल करने का अधिकार नहीं था। इस वर्ष टैक्स डिपार्टमेंट ने फॉर्म में बदलाव कर इसकी अनुमति दे दी।
ध्यान रहे कि बीते किसी वित्त वर्ष का बकाया जिस वित्त वर्ष में मिला हो, उस वित्त वर्ष में उसे मकान से हुई आय (इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी) माना जाएगा और इस पर टैक्स लगेगा। हालांकि बकाए की 30% राशि पर टैक्स छूट पाने की अधिकार है, लेकिन आईटीआर 1 में इसे अलग से क्लेम करने की जगह नहीं दी गई है। इसलिए, आपको प्राप्त बकाया रकम का 70% हिस्सा ही फॉर्म में भरना चाहिए।
3. आईटीआर 1 में अन्य स्रोतों से हुई आय की जानकारी
फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज से हुई आमदनी से टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस) कटा हो तो आईटीआर फॉर्म में इसकी जानकारी दी गई होगी। साथ ही, पिछले वर्ष मिले इनकम टैक्स रिफंड पर ब्याज के रूप में आमदनी हुई, उसकी भी जानकारी यहां मिलेगी। हालांकि, आपको बैंक और पोस्ट ऑफिस के बचत खातों (सेविंग्स अकाउंट) में जमा रकम पर मिले ब्याज की जानकारी खुद भरनी होगी और इस पर जरूरत के मुताबिक इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80TTA या 80TTB के तहत डिडक्शन क्लेम करना होगा।
ऐसे दें अलग-अलग विवरण
मान लीजिए, आपको वित्त वर्ष 2018-19 में बचत खाते पर 12 हजार रुपये और एफडी पर 60 हजार रुपये का ब्याज मिला। इसके अलावा, आपने इंश्योरेंस कमिशन के रूप में 5 रुपये और कमाए तो इस वर्ष आपको ‘अन्य स्रोतों से आय’ (इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज) के तहत इन सबकी अलग-अलग जानकारी देनी होगी। पिछले वर्ष तक आपको एक जगह अन्य स्रोतों से हुई कुल आय बतानी पड़ती थी।
बचत खातों से मिले 10 हजार रुपये तक के ब्याज पर सेक्शन 80TTA के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम करना नहीं भूलें। ध्यान रहे कि यह फॉर्म में ऑटो फिल्ड नहीं मिलेगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेक्शन 80TTB के तहत बैंक और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट्स पर 50 हजार रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री है।
D. टैक्स डीटेल्स: इस टैब में आपके द्वारा दिए गए टीडीएस, टीसीएस, अडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स की जानकारियां दी गई होंगी। ध्यान रहे कि ये जानकारियां फॉर्म 26AS से ली गई हैं। हालांकि, आपको अपनी कंपनी, बैंक, किराएदार आदि से मिले अलग-अलग टीडीएस सर्टिफिकेट्स से इनका मिलान कर लेना चाहिए।
E. टैक्स पेड और वेरिफिकेशन
‘टैक्स डीटेल्स’ टैब में आप पर बने टैक्स की जनाकरी दी गई थी और सेक्शन 80G एवं 80GGA वाले दो टैब्स में टैक्स छूट की जानकारी दी जाएगी। इनके बीच टैक्स पेड और वेरिफिकेशन टैब में आप पर बकाया टैक्स या ज्यादा टैक्स पेड है तो रिफंड की रकम की जानकारी मिलेगी। अगर आप पर कोई टैक्स बकाया है तो आपको रिटर्न फाइल करने से पहले सेल्फ असेसमेंट टैक्स भरना होगा। सेल्फ असेसमेंट टैक्स के चालान से जुड़े डीटेल्स टैब डी (टैक्स डीटेल्स) में जरूर भरें।
इस टैब में अपने सभी बैंक खातों के डीटेल्स देना जरूरी है। हालांकि, टैक्स विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि अगर आपका कोई डॉर्मेंट अकाउंट है जो 3 साल से निष्क्रिय (कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ) है तो उसका डीटेल देने की जरूरत नहीं है। यह ध्यान रखें कि रिफंड के लिए आप जिस बैंक खाते का डीटेल दे रहे हैं, वह आपके पर्मानेंट अकाउंट नंबर(PAN) से लिंक्ड है। साथ ही आप रिफंड हासिल करने के लिए अपने बैंक खाते को आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर प्री-वैलिडेट करवा लें।
F. डोनेशन-80G
सेक्शन 80G के तहत डिडक्शंस क्लेम करने के लिए जरूरी है कि आप डोनी (दान ग्रहण करने वाला) का डीटेल दें। किसी फंड, चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन या किसी अन्य संस्थान को दिए गए डोनेशन की राशि का ब्योरा देना जरूरी होता है। इस वर्ष टैक्सपेयर को कैश या अन्य किसी रूप में दिए गए दान का जिक्र करना होगा। ध्यान रखें कि 2 हजार रुपये से ज्यादा का कैश डोनशन को ग्रॉस इनकम से डिडक्शन नहीं माना जाएगा।
G. डोनेशन-80GCA
इस टैब में टैक्सपेयर को क्लेम्ड डिडक्शन का डीटेल देना होता है। यह सेक्शन वैज्ञानिक अनुसंधान और ग्रामीण विकास आदि के लिए दिए गए दान पर डिडक्शन देता है। इस डिडक्शन का लाभ बिजनस इनकम अर्जित करने वालों को छोड़कर सभी टैक्सपेयर्स को मिलता है।
स्टेप 5: फॉर्म को वेरिफाइ करें, फिर सिलेक्ट प्रीव्यू & सबमिट करें
फॉर्म में सभी डीटेल्स भरने के बाद ‘वेरिफिकेशन’ ऑप्शन सिलेक्ट करें। यह स्टेप बैंक अकाउंट के डीटेल्स देने के बाद ‘Tax Paid and Verification’ टैब में पूरा किया जाता है। फाइलिंग की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वेरिफिकेशन अनिवार्य स्टेप है। आईटीआर को वेरिफाइ करने के 6 तरीके हैं।
स्टेप 6: फॉर्म जमा करें
फॉर्म वेरिफिकेशन के बाद टैक्सपेयर प्रीव्यू की कॉपी का पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। अगर फॉर्म में कोई गलती है या कुछ हटाना है तो ‘एडिट’ बटन पर क्लिक कर जरूरी सुधार किया जा सकता है। अगर फॉर्म में कोई गलती नहीं तो फॉर्म सबमिट कर दें। इसके लिए आप ‘Submit’ बटन पर क्लिक करें। फॉर्म सबमिट होने के बाद आपके पास एसएमएस और ईमेल के जरिए कन्फर्मेशन मेसेज पहुंच जाएगा।