Uttarakhand के पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री, उसकी पत्नी व भाई को पांच साल की सजा, की थी करोड़ों की धोखाधड़ी

 ट्रस्ट की जमीन बेचने के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ अभिषेक कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री मनीष वर्मा, उनकी पत्नी नीतू वर्मा और भाई संजीव वर्मा को पांच-पांच साल की सख्त कैद और 20-20 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई है।

जुर्माना अदा नहीं करने पर सभी को एक-एक महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। तीनों दोषियों को देहरादून जिला जेल सुद्धोवाला भेज दिया गया है।
मेरठ के जानी थाने में दर्ज करवाया था मुकदमा:
सुभारती मेडिकल कालेज सुभारतीपुरम जिला मेरठ (उत्तर प्रदेश) के प्रोफेसर अतुल कृष्ण भटनागर ने 14 मार्च 2012 को मेरठ के जानी थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था। उन्होंने पुलिस को बताया था कि कालेज में काम करने वाले साहिल ने उन्हें बताया कि देहरादून में श्रीश्री 1008 नारायण स्वामी चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत डेंटल कालेज व अस्पताल चल रहे हैं।
इसका कर्ताधर्ता मनीष वर्मा है। उसे अस्पताल आदि चलाने का ज्ञान नहीं है। कर्ज भी बहुत हो गया है। ऐसे में वह डेंटल कालेज और अस्पताल भवन सहित 100 बीघा जमीन बेचना चाहता है।
30 करोड़ में 100 बीघा जमीन और डेंटल कालेज-अस्पताल के भवन का सौदा
अतुल कृष्ण को साहिल ने जमीन के कागजात की फोटो कापी उपलब्ध कराई। साहिल ने अतुल कृष्ण और मनीष वर्मा की बात भी कराई। 20 अप्रैल 2012 को अतुल कृष्ण ग्राम कोटणा-संतौर, प्रेमनगर (देहरादून) स्थित डेंटल कालेज व अस्पताल को देखने पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात मनीष वर्मा से हुई। दोनों पक्षों में 30 करोड़ रुपये में 100 बीघा जमीन और डेंटल कालेज व अस्पताल के भवन का सौदा तय हो गया।
इसके बाद अतुल कृष्ण ने विभिन्न तिथियों में करीब 25 करोड़ रुपये मनीष, नीतू और संजीव के बैंक खातों में जमा करा दिए। इसके बाद मौके पर पैमाइश कराई गई तो जमीन 100 के बजाय 42 बीघा ही निकली। बाकी जमीन के दस्तावेज फर्जी तरीके से बनाए गए थे।
मेरठ पुलिस ने इस एफआइआर को देहरादून की डालनवाला कोतवाली को ट्रांसफर किया। बाद में पता चला कि मामला कैंट थाना क्षेत्र का है तो इसे कैंट ट्रांसफर किया गया। इस मुकदमे में कैंट कोतवाली पुलिस ने 19 मई 2014 को तीनों के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया। मुकदमे में 29 सितंबर 2021 को ट्रायल शुरू हुआ।
एक साल से भी कम समय में ट्रायल हुआ पूरा
न्यायालय में करीब एक साल से भी कम समय में ट्रायल पूरा हो गया। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी जावेद अहमद और विवेक ठाकुर ने बहस की। अभियोजन की ओर से 10 गवाह पेश किए गए।
न्यायालय ने 18 अगस्त 2022 को निर्णय सुरक्षित रखा और सोमवार को सजा सुनाई। अदालत ने मुकदमे की धारा 406 (अमानत में खयानत) में सभी को दोषमुक्त कर दिया। धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में तीनों दोषियों को पांच-पांच साल की सख्त कैद और 20-20 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई।

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