प्रदेश में जीएसटी 2017 में लागू हुआ था और केंद्र सरकार ने पांच साल तक जीएसटी में कमी की भरपाई करना स्वीकार किया था। प्रदेश के लिए यह रियायत जून, 2022 में समाप्त हो जाएगी। इस रियायत के खत्म होने पर राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी ने किया है।
संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी क्षतिपूर्ति खत्म होने पर राज्य को करीब 1500 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने होंगे। वह भी तब जब राज्य में जीएसटी में विकास दर 14 प्रतिशत तक बनी रहे। प्रदेश में जीएसटी में संग्रह लगातार कम हो रहा है।
वित्त विभाग के मुताबिक वर्ष 2019-20 में जीएसटी से 6255.33 करोड़ रुपये के संग्रह का अनुमान लगाया गया था। नवंबर तक कुल 3339 करोड़ रुपये का संग्रह ही किया जा सका। जीएसटी में बिक्री के स्थल पर टैक्स लगता है। राज्य में अब उत्पादन अधिक हो रहा है। ऐसे में राज्य से बाहर ही अधिकतर टैक्स जा रहा है।
भरपाई की व्यवस्था तीन साल तक बढ़ाने की भी है मांग
नई सरकार के सामने होगी मुश्किल
राज्य में विधानसभा के चुनाव वर्ष 2022 में होंगे। ऐसे में नई सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकाराें को या तो अपने संसाधन बढ़ाने होंगे या फिर जीएसटी का कर संग्रह बढ़ाना होगा। यह नहीं हुआ तो विकास योजनाओं के लिए पैसे की कमी हो जाएगी।
2025 तक सुधर जाएंगे हालात
हमने 15वें वित्त आयोग से कहा है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति 2025 तक बढ़ा दी जाए। जीएसटी के दो हिस्से हैं। एक केंद्र और दूसरा राज्य। राज्य में वस्तुओं के उपभोग (एसजीएसटी) की विकास दर 25 प्रतिशत है। सीजीएसटी या राज्य से बाहर जा रहे टैक्स की वृद्धि दर कम है। 2025 तक यह दोनों बराबर हो जाएंगी। इससे हमें 2025 के बाद जीएसटी के कारण नुकसान नहीं होगा।
–अमित नेगी, सचिव वित्त, उत्तराखंड

