प्रमोशन पर बवाल: मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव को लीगल नोटिस

देहरादून I उत्तराखंड सचिवालय में हाल ही में हुई पदोन्नतियों को लेकर अनुसचिव चंद्र बहादुर नेे मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव न्याय को लीगल नोटिस भेज दिया है। अधिवक्ता हरि मोहन भाटिया के माध्यम से भेजे गए इस लीगल नोटिस में पदोन्नति आदेश को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करार दिया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से अंतिम निर्णय आने तक पदोन्नति आदेश को लागू न किया जाए। शासन ने 31 जनवरी 2020 को सचिवालय में तैनात पांच अनुभाग अधिकारियों और पांच अनुसचिवों को पदोन्नत कर दिया था।

जारी पदोन्नति आदेश पर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति इंप्लाइज फेडरेशन ने एतराज जताया। हाईकोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर अदालती जंग लड़ने वाले अनुसचिव चंद्र बहादुर ने शासन को पत्र लिख आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया। ऐसा न होने पर उन्होंने न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने की चेतावनी दी।

हाईकोर्ट में दायर करेंगे अवमानना याचिका : करम राम

शासन स्तर पर कोई कार्रवाई न होने पर बुधवार को ही उन्होंने डाक के माध्यम से मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (कार्मिक एवं सचिवालय प्रशासन), प्रमुख सचिव (न्याय) को लीगल नोटिस भेज दिया है। नोटिस में चंद्र बहादुर बनाम उत्तराखंड सरकार मामले में उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख है, जिसमें पूर्व में हुई डीपीसी के नतीजों को सीलबंद लिफाफे में रखने को कहा गया था।

नोटिस में ज्ञानचंद बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य के मामले में हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लेख है। नोटिस में कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय सुरक्षित रखा गया है। न्यायालय का अंतिम निर्णय आने तक उन्होंने पदोन्नति पर रोक लगाने की मांग की है। ऐसा न होने पर उन्होंने इसे न्यायालय की अवमानना का मामला माना है।

उत्तराखंड एससी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद शासन ने पदोन्नति आदेश जारी कर अदालत की अवमानना की है। 10 जनवरी को हाईकोर्ट खुलेगा। तब तक शासन ने पदोन्नति आदेश पर रोक नहीं लगाई तो फेडरेशन कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेगा।

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